Published on December 6, 2021 11:21 pm by MaiBihar Media

उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी ने इस्लाम छोड़कर सनातन धर्म अपना लिया है। धर्म बदलने के बाद उनका नया नामकरण भी हुआ। अब रिजवी का नया नाम जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी हो गया है। जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर नरसिंहानंद गिरि ने उन्हें सनातन धर्म ग्रहण कराया और इसके बाद उन्होंने ही रिजवी का नामकरण भी किया। रिजवी के धर्म परिवर्तन पर कई तरह की प्रतिक्रियाएँ सामने आ रही हैं। चलिए विस्तार से जानते हैं आखिर कौन हैं वसीम रिजवी…

डासना मंदिर पहुंचे रिजवी ने कहा कि जब मुझे इस्लाम से निकाल ही दिया गया है तो ये मेरी मर्जी है कि मैं किस धर्म को स्वीकार करूं। मैंने सनातन धर्म चुना, क्योंकि दुनिया का सबसे पुराना धर्म है। वसीम रिजवी के सनातन धर्म ग्रहण करने के बाद उनका शुद्धिकरण किया गया। हवन-यज्ञ भी किया गया। सारे अनुष्ठान महामंडलेश्वर नरसिंहानंद गिरि की देखरेख में किए गए। गिरि ने बताया कि वसीम रिजवी पांच नवंबर को मंदिर में आए थे। उसी दिन उन्होंने कह दिया था कि मृत्यु के बाद उनके शव का अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाज से किया जाए। इसके लिए उन्होंने जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर नरसिंहानंद गिरि को अधिकृत भी कर दिया था। बाकायदा उस दिन वसीम रिजवी मंदिर परिसर में पूजा-अर्चना करके भी गए थे।

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कौन है वसीम रिजवी

वसीम रिजवी मूल रूप से लखनऊ के निवासी हैं। साल-2000 में वह लखनऊ के मोहल्ला कश्मीरी वार्ड से सपा के नगरसेवक चुने गए। 2008 में शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के सदस्य और फिर बाद में चेयरमैन बने। वसीम रिजवी ने कुरान से 26 आयतों को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी जो खारिज हो गई। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को लेकर वसीम रिजवी पर जुर्माना भी लगाया था।

चर्चे में कब आए वसीम रिजवी

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद से वसीम रिजवी लगातार चर्चा के केंद्र में बने हुए हैं। उन्होंने देश की 9 मस्जिदों को हिंदुओं को सौंप दिए जाने की बात उठाई थी। कुतुब मीनार परिसर में स्थित मस्जिद को हिंदुस्तान की धरती पर कलंक बताया था। मदरसों की तलीम को आतंकवाद से जोड़ा था। कुरान की 26 आयतों को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी, जिसके बाद शिया और सुन्नी समुदाय के उलेमाओं ने फतवा देकर उन्हें इस्लाम से खारिज कर दिया।

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