Published on October 21, 2021 10:49 pm by MaiBihar Media
बिहार विधानसभा भवन शताब्दी वर्ष समारोह का दीप प्रज्वलित कर राष्ट्रपित रामनाथ कोविंद ने शुभारंभ किया। कार्यक्रम के शुभारंभ के पूर्व बिहार विधानसभा परिसर में महामहिम ने शताब्दी स्तंभ का शिलान्यास किया और पवित्र बोधि वृक्ष के शिशु पौधे का भी रोपण किया।
इस दौरान राष्ट्रपित ने सामाजिक संकल्प अभियान के शिलाप्ट्ट का भी रिमोट के माध्यम से शिलान्यास किया। मौके पर राज्यपाल फागू चौहान, बिहार विधानसभा के अध्यक्ष समेत कई विधायक व नेता मौजूद रहे।
कार्यक्रम के शुभारंभ में विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा ने राष्ट्रपति का स्वागत किया। फिर मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को बिहारी राष्ट्रपति बताया और कहा कि हम बिहारी लोग तो इनको बिहारी भी कहते हैं। इनका यहां से बहुत पुराना रिश्ता है। ये बिहार में लगभग 2 साल के लिए राज्यपाल रहे थे। ये बिहार के राज्यपाल रहते हुए राष्ट्रपति बने। इतनी बड़ी प्रतिष्ठा मिलने के बाद हमें बेहद खुशी हुई। राज्यपाल से राष्ट्रपति तो जाकिर हुसैन भी बने, लेकिन पहले वे उपराष्ट्रपति बने और तब राष्ट्रपति। आइए विस्तार से जानते हैं विधानसबा का इतिहास और मुख्यमंत्री की भाषण…..
और भी संबोधन में क्या बोले मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री ने आयोजन के लिए विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा को बधाई दी और कहा कि उनकी तरफ से यहां हर बार कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इनकी कोशिश है कि आगे प्रधानमंत्री को भी यहां लाएंगे, कार्यक्रम कराएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने वर्ष 2009 से ही 22 मार्च को बिहार दिवस के रुप में मनाना शुरु किया। इसी क्रम में वर्ष 2012 में बिहार राज्य के 100 साल पूरा होने पर कार्यक्रम का आयोजन हुआ था। उस समय के विधानपरिषद के सभापति ताराकांत झा द्वारा कार्यक्रम के लिए किए गए मेहनत को हमेशा याद किया जाना चाहिए। 22 मार्च 2011 से विधायी परिषद बनी थी, उसके लिए कार्यक्रम शुरु किया गया था। उसमें तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल शामिल हुई थीं। पूरे एक साल तक कार्यक्रम चला था। 3 मई 2011 को पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम साहब को बुलाया गया था।
विधानसभा भवन का ये है इतिहास
मुख्यमंत्री ने बताया कि विधायी परिषद की पहली बैठक पटना कॉलेज में 20 जनवरी 1913 को हुई थी। 100 वें साल में हमलोगों ने वर्ष 2012 में पटना कॉलेज में एक कार्यक्रम किया था। बिहार विधानसभा का भवन बना, जिसमें 1920 में परिषद भवन का निर्माण कराया गया। परिषद भवन अब बिहार विधानसभा भवन कहलाता है। उसके 100 साल पूरा होने पर आज कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है। उस समय के विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने 7 फरवरी 2016 से इसके लिए कार्यक्रम की शुरुआत की थी। वे भी इसके लिए बधाई के पात्र हैं। उस समय के नए 98 विधायकों को बहुत सारी चीजों की जानकारी दी गई थी। हमलोगों ने बिहार विधानसभा भवन का विस्तारीकरण भी कराया है।
शताब्दी स्तंभ और बोधिवृक्ष हमेशा याद दिलाएंगे इतिहास
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज राष्ट्रपति ने शताब्दी स्मृति स्तंभ का शिलान्यास किया है। जब यह बनकर तैयार होगा तो बहुत सुंदर लगेगा। इस अवसर पर बोधगया से लाए गए शिशु बोधिवृक्ष का भी आज रोपण किया गया। बोधिवृक्ष के पास भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। बोधिवृक्ष के यहां रहने से यहां के जो प्रतिनिधि आएंगे, उन सबका ज्ञान और बढ़ेगा। सीएम ने बताया कि हमने बुद्ध स्मृति पार्क बनाया, जिसमें अनेक चीजों का निर्माण कराया गया। यहां पर बोधगया, श्रीलंका और अनुराधापुर का बोधिवृक्ष लगाया गया। यूपी के श्रावस्ती में 14 साल तक भगवान बुद्ध रहे थे। वहां से भी बोधिवृक्ष मंगवाकर लगवाया गया। दलाई लामा जब भी यहां आए उन्होंने बोधिवृक्ष का रोपण किया।
बुद्ध स्मृति पार्क में करुणा स्तूप का, बुद्ध स्मृति संग्रहालय बनाया गया। पहले मेडिटेशन केंद्र बनाया गया। बुद्ध स्मृति पार्क में करुणा स्तूप बना है। करुणा स्तूप में 5 देशों जापान, म्यांमार, दक्षिण कोरिया, श्रीलंका व थाईलैंड से बुद्ध के लाए गए अवशेष को रखा गया है। इसके अलावा दलाई लामा द्वारा लाए गए बोधिवृक्ष भी लगाए गए हैं। यहां पर विपश्यना केंद्र भी बनाया गया है। खुशी की बात है कि राष्ट्रपति बुद्ध स्मृति पार्क और विपश्यना केंद्र को देखने जा रहे हैं। राष्ट्रपति महोदय का कोई सुझाव आएगा तो हम उस पर काम करेंगे। इसे और बेहतर बनाएंगे।
मुख्यमंत्री ने बताया कब-कब बिहार आए राष्ट्रपित
मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति बनने के बाद कोविंद पहली बार तीसरे कृषि रोडमैप की शुरुआत के लिए 9 नवंबर 2017 को बिहार आए थे। इसके बाद 15 नवंबर 2018 को डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में आए थे। 25 अक्टूबर 2019 को विश्व शांति स्तूप, राजगीर के 50 वें वार्षिकोत्सव में हमारे विशेष आग्रह पर ये यहां पधारे थे। जापान के फूजी गुरु जी ने विश्व शांति स्तूप का निर्माण कराया था। विश्व शांति स्तूप का शिलान्यास 6 मार्च 1965 को उस समय के राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने किया और 25 अक्टूबर 1969 को राष्ट्रपति वीवी गिरी ने इसका उद्घाटन किया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 3 जुलाई 2018 से विपश्यना केंद्र का नियमित संचालन हो रहा है। लगभग 1200 लोग इसमें भाग ले चुके हैं। हम चाहते हैं कि जितने भी सरकारी अधिकारी और कर्मचारी हैं वे विपश्यना केंद्र जाएं। यदि वे वहां जाएंगे तो उनको 15 दिनों का अवकाश भी दिया जाएगा। बता दें कि बिहार विधानसभा भवन शताब्दी वर्ष समारोह के मौके पर बिहार पहुंचे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के सम्मान में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम-सह-रात्रि भोज में मुख्यमंत्री देर शाम पहुंचे।