भभुआ के खेतों में खड़ी धान की फसलों में तेजी से बढ़ रहा झुलसा रोग ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। इस रोग में यह देखा जा रहा है कि खेतों में खड़ी धान की फसल की पत्तियां झुलसकर लाल पड़ जा रही हैं। जिसके बाद में पौध की जड़ें भी सुख जा रही है। उधर, धान की फसल की समस्या से उपचार के लिए कीटनाशक दवा दुकानों पर भीड़ भी लगने लगने लगी है। हालांकि किसानों का कहना है कि इससे कोई खास फायदा नहीं मिल पा रहा है। बता दें कि बेहतर गुणवत्ता वाली धान की प्रजाति में झुलसा रोग का अधिक प्रकोप है।
दिनों-दिन बढ़ती जा रही झुलसा रोग
धान की फसलों में यह रोग भभुआ, कुदरा, चैनपुर, रामपुर क्षेत्रों में अधिक देखने को मिल रही है। इस बाबत कई किसानों का कहना है कि धान की पत्तियां लाल होने की शिकायतें खासकर महीन किस्म की धान में ही देखी जा रही हैं। हालांकि जहां-तहां इस रोग से नाटी मंसूरी धान भी प्रभावित हो रही है। किसानों का कहना है कि बेहतर गुणवत्ता वाली राजभोग, गोविंदभोग, सोनाचुर की अन्य प्रजातियों के अलावे कतरनी धान में भी इस तरह की समस्या देखी जा रही है। साथ ही यह झुलसा रोग धान की फसलों में दिनों दिन तेजी से बढ़ रही है।
हल्के किस्म की धान में बलिया निकल रही, किट का प्रकोप भी बढ़ा
किसानों का कहना है कि ऊंचाई वाली भूमि में कम पानी में ऊपज वाली हल्के किस्म की धान की प्रजाति लगाई गई है। इन प्रजातियों में अब बालियां भी आने लगीं है। लेकिन इन बालियों के साथ ही तना छेदको का भी प्रभाव पड़ रहा है। यह तना छेदक कीट धान की फसल को जड़ से ही काट दे रहे हैं। इससे पौधे में बालियां तो लगी रह रही हैं लेकिन बालियों में दाने नहीं आते। वह सूख जाते हैं। इस रोग से करीब 10 फीसद फसल नुकसान हो जाता है।
कृषि वैज्ञानिकों ने बताया क्या है बचाव का उपाय
उधर, इस संदर्भ में कृषि विज्ञान केंद्र अधौरा के कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि इस सीजन में इस तरह की समस्याएं सामने आ रही हैं। फसल की बचाव के लिए किसान कॉपर ऑक्सी क्लोराइड 300 ग्राम, स्ट्रेप्टोसाइक्लिंन 15 ग्राम को 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें। इससे झुलसा रोग से बचाव होगा।