राजद कार्यालय के लिए जमीन देने का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब इस मसले पर राजद (RJD) के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह (Jagdanand Singh) ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिख पुनर्विचार करने का आग्रह किया है। इस बाबत प्रदेश अध्यक्ष ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस किया। साथ ही कई सवाल उठाए तथा ऐसे मामलों का उदाहरण भी दिया और कहा कि मुख्यमंत्री के रूप में वे केवल एक दल के नेता नहीं हैं। इस राज्य के कानून के रक्षक हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार बताए, जदयू का बिल्टअप एरिया जो आवंटित था वही है या बढ़ा है। पिछले 5 सालों में इन आफिस के मेन्टेन्स पर क्या खर्च किया गया। दो फ्लैट से बढ़ते हुए जदयू ने 66 हजार वर्ग फीट जमीन कब्जे में ले लिया। फिर राजद के मामले में ही अन्याय क्यों। उन्होंने आरोप लगाया कि जो पार्लियामेंट चले गए उनके लिए भी पटना में भवन रखा गया है। जो विधायक नहीं हैं उनके लिए भी भवन रखा गया है। ये कैसा न्याय है।

आगे राजद प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, जमीन का आवंटन सरकार करती है। हमें जवाब मिला कि राजद के बगल की जमीन उच्च न्यायालय पुल की जमीन है। किसी भी जमीन का स्वामित्व ट्रांसफर नहीं होता। स्वामित्व सरकार के पास ही रहता है। जमीन ट्रांसफरेबल है। एक पुल से दूसरे पुल में ट्रांसफर होता है। रिजेक्शन ऑन द ग्राउंड होना चाहिए, क्योंकि पुल ट्रांसफरेबल है।

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हमारा संगठनात्मक ढांचा बिल्कुल वैसा ही है जैसा जदयू और भाजपा का है। मैं जिस भवन में 15 सालों तक मंत्री के रूप में रहा वो अब उच्च न्यायालय के अधीन है। गंगा किनारे बापू सभागार बना जबकि वहां अधिकरियों के फ्लैट थे। म्यूजियम पहले से था फिर भी नया बना। लोग कहते हैं कि कमीशन के लिए नया भवन बना। सरकार अनावश्यक काम कर रही। मैं फिर अपील करता हूं कि जमीन को लेकर पुल का बहाना नहीं चलेगा।

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