Published on August 28, 2021 10:18 pm by MaiBihar Media
पंचायत चुनाव को लेकर राज्य निर्वाचन ने चुनाव प्रचार के मद्देनजर वाहन के इस्तेमाल का निर्धारण तथा चुनाव में खर्चों का निर्धारण किया है। आयोग के मुताबिक उम्मीदवारों को नामांकन की तिथि एवं रिजल्ट घोषणा की तिथि की अवधि में चुनाव से जुड़े सभी खर्च का ब्यौरा रखना होगा। मुखिया प्रत्याशी, जिला परिषद सदस्य को अलग-अलग वाहन की अनुमति देने के संबंध में राज्य निर्वाचन आयोग ने दिशा-निर्देश जारी किया है। इस बाबत आयोग ने बताया है कि चुनाव प्रचार के लिए वाहनों का निर्धारण प्रत्याशियों के क्षेत्र और खर्च को ध्यान में रखकर किया गया है।
मालूम हो कि वाहन (Vehicle) को लेकर आयोग ने बताया है कि मुखिया, सरपंच और पंचायत समिति सदस्य के पदों के प्रत्याशी प्रचार अभियान के लिए अधिकतम दो दोपहिया वाहन (Two wheeler) या फिर एक चार पहिया (Four wheeler) वाहन का उपयोग कर पाएंगे। वहीं ग्राम पंचायत के सदस्य और पंच पद के उम्मीदवारों को प्रचार अभियान के लिए सिर्फ एक दो पहिया वाहन की अनुमति होगी। यानी अगर वे वाहन से चुनाव प्रचार करते हैं तो सिर्फ एक व्यक्ति को साथ लेकर ही घूम पाएंगे। जिला परिषद सदस्य पद के उम्मीदवार चार दो पहिया वाहन या फिर दो चार पहिया वाहन का उपयोग कर सकते हैं। उनके पास यह भी ऑप्शन होगा कि अगर वे चाहें तो दो दोपहिया वाहन और एक चार पहिया वाहन का उपयोग कर सकते हैं।
गौरतलब हो कि जिला परिषद सदस्य के प्रत्याशी का इलाका बड़ा होता है और उन्हें अधिक वोटरों से संपर्क करना होता है। लिहाजा, उन्हें अधिक वाहनों की अनुमति दी गई है। उनके चुनाव खर्च की सीमा भी 1 लाख निर्धारित है। आयोग के अनुसार अभ्यर्थी निर्धारित वाहनों के अलावा रिक्शा, बैलगाड़ी या घोड़ागाड़ी आदि से भी प्रचार कर सकते हैं। लेकिन रिक्शा आदि पर आने वाला खर्च भी उनके चुनाव खर्च में ही जोड़ा जाएगा।
वहीं, आयोग द्वारा जारी दिशा-निर्देश के अनुसार जिला परिषद सदस्य के प्रत्याशी अधिकतम 1 लाख रुपए तक चुनाव में खर्च कर सकते हैं। जबकि ग्राम पंचायत के मुखिया और सरपंच पद के प्रत्याशियों के लिए खर्च की सीमा 40 हजार निर्धारित की गई है। पंचायत समिति सदस्य पद के प्रत्याशी 30 हजार रुपए तक खर्च कर सकते हैं। इसी तरह ग्राम पंचायत सदस्य और पंच के पद के प्रत्याशियों के लिए खर्च की सीमा 20 हजार रुपए निर्धारित की गई है।
आपको बता दें कि अगर बिहार चुनाव आयोग (Election Commission) को लगता है कि अपेक्षित समय व नियमों से निर्वाचन खर्च का ब्यौरा नहीं दिया गया है और चूक के लिए कोई सही कारण या औचित्य नहीं है तो आयोग के आदेश पर उसे चुनाव आयोग अयोग्य घोषित कर सकता है। ऐसे में पंचायत चुनाव लड़ने वालों को आयोग के द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस का पालन करना अत्यंत जरूरी है।