Published on July 19, 2023 4:42 pm by MaiBihar Media
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस और बीजेपी ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। देश की सियासत के लिए मंगलवार 18 जुलाई का दिन काफी अहम था। एक तरफ बंगलूरू में विपक्ष के 26 दलों ने बैठक की तो दूसरी ओर भाजपा की अगुआई में 38 दल एनडीए की बैठक में शामिल हुए। विपक्ष ने अपने गठबंधन का नाम INDIA (इंडिया) रखा। इसका पूरा नाम- इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस है। बैठक के बाद दोनों गठबंधनों ने अपने-अपने जीत के दावे किए। खैर, सबसे बड़ा सवाल ये है कि विपक्ष के इंडिया और भाजपा की अगुआई वाले NDA कौन किस पर भारी पड़ेगा?
दिल्ली में एनडीए के खेमे में 38 राजनीतिक दलों ने एकसाथ मिलकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का फैसला लिया। इस दौरान पीएम मोदी ने अपने संबोधन में विपक्षी एकता पर जमकर हमला बोला है। पीएम मोदी ने कहा कि NDA मजबूरी वाला नहीं, बल्कि मजबूती वाला गठबंधन है। एनडीए में कोई छोटा बड़ा नहीं है। पीएम ने विपक्षी एकता पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि बंगाल में टीएमसी और लेफ्ट, और केरल में लेफ्ट और कांग्रेस एक दूसरे के खून के प्यासे हैं, लेकिन बंगलूरू में दोस्ती दिखा रहे हैं।
पीएम ने कहा कि विपक्षी एकता छोटे-छोटे दलों के स्वार्थ का गठबंधन है जो किसी भी कीमत पर केवल सत्ता हासिल करना चाहते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने NDA की मीटिंग में 50 फीसदी से ज्यादा वोट पाने का दावा किया और इस दावे के पीछे अपने तर्क दिए। पीएम मोदी ने हर वर्ग को साथ लेकर चलने का मंत्र दिया। इसी के सहारे भाजपा अगले साल लोकसभा चुनाव में उतरेगी।
इधर, देशभर के भाजपा विरोधी दलों को एकजुट करने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्षी एकता की दूसरी बैठक से लौटने के बाद अपने गृह जिला नालंदा पहुंचकर चुप्पी तोड़ी। मीडिया से बात करने के बाद मंच से मीडिया पर भी हमलावर रहे। उन्होंने कहा- “कल तो अनेक पार्टियों की मीटिंग थी। वहां का मीटिंग करके हम चल दिए। कह ही दिया कि वह लोग हमारी सब बात तो मान लिया, इसलिए उठ कर चले आए।” जल्दी क्यों आए, इस सवाल का जवाब उन्होंने ऐसे दिया- “इसलिए कि मेरी इच्छा राजगीर की हो रही थी। राजगीर आने में देर हो रही थी, इसलिए हम बिहार आ गए हैं।” नीतीश कुमार ने कहा कि इसके अलावा और कोई बात नहीं है। पूरे तौर पर हम लोग साथ हैं।
एनडीए की बैठक पर नीतीश कुमार ने कहा कि इसका कोई मतलब ही नहीं है। आज से पहले एनडीए की कभी बैठक नहीं बुलाई गई। वर्ष 1999 में दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी ने एनडीए की बैठक बुलाई थी। अभी जब हम लोगों ने बैठक बुलाई तो एनडीए को भी याद आया। एनडीए के द्वारा कई लोगों को बुला-बुलाकर संख्या गिनाई जा रही है। हम लोगों की बैठक में जो पार्टी मूल रूप से है, उन लोगों की बैठक बुलाई गई थी। वहीं मुख्यमंत्री ने इशारों-इशारों में जीतन राम मांझी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कुछ लोग हम लोग के साथ जुड़ गए थे। जिन्हें बाहर का रास्ता दिखाया गया, क्योंकि अगर वे लोग जुड़े रहते तो मीटिंग की बात लीक करते। हम लोग एकजुट हैं और मिलजुल कर आगे काम करेंगे।
38 बनाम 26 की क्या है लड़ाई?
राजनीति हमेशा से ही नजरिए का खेल रहा है और बीजेपी भी इस खेल में पीछे नहीं रहना चाहती है। मंगलवार को विपक्षी दल ने बेंगलुरु में बैठक बुलाई थी। इस बैठक में 26 छोटी-बड़ी पार्टियों ने भाग लिया था। विपक्षी दल ने अपने गठबंधन का नाम I.N.D.I.A रखा है। विपक्षी गठबंधन एक सीट- एक उम्मीदवार के समीकरण पर चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में है। वहीं बीजेपी भी अपने कुनबे को विपक्ष से बड़ा दिखाने के लिए एनडीए गठबंधन के सभी सहयोगियों को साथ लाकर विपक्ष को कड़ी टक्कर देना चाहती है। छोटे दल उन सभी सीटों पर अहम भूमिका निभा सकते है जहां जीत और हार का मार्जिन बहुत कम था। वहीं ये छोटे दल जिला स्तर पर बीजेपी को जीत में अहम भूमिका निभा सकते हैं।