Published on May 29, 2022 12:36 pm by MaiBihar Media

सुहागिन महिलाओं का मुख्य त्योहार वट सावित्री व्रत इस बार 30 मई को मनाई जाएगी। साथ ही सोमवती अमावस्या भी मनाई जाएगी। सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है। यह साल का आखिरी सोमवती अमावस्या भी होगी। इसके बाद सोमवती अमावस्या अगले साल ही आएगी। अमावस्या तिथि 29 मई को दोपहर 2 बजकर 55 मिनट से प्रारंभ होगी, जो 30 मई को शाम पांच बजे तक रहेगी।

सुहागिन महिलाएं करती हैं वट सावित्री पुजा
जानकारों ने बताया कि वट सावित्री व्रत और पूजन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य के लिए करती है। हमारी संस्कृति में यह व्रत आदर्श पतिव्रता नारीत्व का प्रतीक बन चुका है। वटवृक्ष देव वृक्ष माने गए हैं। वटवृक्ष के मूल में भगवान ब्रह्मा, मध्य में जनार्दन विष्णु तथा अग्रभाग में देवाधिदेव शिव स्थित रहते हैं। ज्येष्ठ में पड़ने वाले प्रभावी व्रतों में से यह एक: ज्येष्ठ मास में पड़ने वाले व्रतों में वट अमावस्या को बेहद उत्तम व प्रभावी व्रतों में से एक माना गया है। इस व्रत को करके सौभाग्यवती महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। इस दिन महिलाएं व्रत रखकर वट वृक्ष के पास जाकर विधिवत पूजा करती है। इसके साथ ही वट वृक्ष की परिक्रमा करती है।

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सोमवती अमावस्या पर स्नान दान, पितरों की पूजा का विधान
बाजार में वट सावित्री पर्व को लेकर बांस से बनी डलिया व पंखा की खरीदारी करना लोगों ने शुरू कर दिया है। महिलाएं साड़ी, कपड़ा सहित शृंगार के सामान की खरीदारी करने में जुट गई है। वट सावित्री व्रत पर महिलाएं करवा चौथ की तरह ही पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती है। सोमवती अमावस्या पर स्नान, दान, पितरों की पूजा का विधान होता है।

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