Published on May 29, 2022 12:04 pm by MaiBihar Media
विभागीय कर्मी की कमी है या कार्य में लापरवाही जो किसान कई लाभवंवित योजनाओं से अनजान है उसमें एक मल्चिंग विधि से खेती की योजना भी है। जिसमें किसानों को मल्चिंग विधि से खेती पर सरकार 90 प्रतिशत अनुदान दे रही है। मल्चिंग के माध्यम से किसान कम पानी में अच्छी फसल उपजा सकते है।
क्या है मल्चिंग विधि से खेती
वैज्ञानिक का कहना है कि इस विधि को अपनाकर खेतों में होने वाले खरपतवार पर नियंत्रण करते हुए पौधों को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है। खेतों में लगाये गये पौधों की जमीन को चारों तरफ से प्लास्टिक से ढकने की प्रणाली को मल्चिंग के नाम से जाना जाता है। कृषि वैज्ञानिक कहते हैं कि मल्चिंग की तकनीक खेतों में पानी की नमी को बनाये रखने और वाष्पीकरण को रोकने में सहायक साबित होता है। इसके साथ ही मिट्टी के कटाव को भी रोकता है।
कम पानी -कम खर्च में बेहतर उपज
मल्चिंग विधि से खेती में ड्रिप सिचाई का साधन उपयोग करना पडता है। कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सब्जी की खेती के लिए उठी हुई क्यारियों का निर्माण कराया जाता है। क्यारियों में लगाये जाने वाले पौधों की जडों के बीच पाइप में छिद्र रहता है। छिद्र से होकर पानी पौधों की जडों तक पहुंचता है। ड्रिप एरिगेशन में एक समान पानी हर पौधों तक पहुंचता है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि इस विधि से भूमि को कठोर होने से बचाया जा सकता है। साथ ही पौधों की जडों का समुचित विकास होता है। विभाग का कहना है कि एक बीघा में मल्चिंग विधि से खेती पर प्लास्टिक लगाने में कुल आठ हजार खर्च आता है।