Published on May 8, 2022 10:50 pm by MaiBihar Media
67 वीं बीपीएससी प्रारंभिक परीक्षा रद्द कर दी गई। रविवार को परीक्षा शुरू होने के लगभग आधा घंटा पहले ही सोशल मीडिया पर लीक प्रश्न पत्र वायरल हो गया। प्रश्न पत्र लीक होने के मामले की जांच के लिए आयोग के अध्यक्ष आरके महाजन ने तीन सदस्यीय टीम बना कर जांच रिपोर्ट मांगी। जांच टीम ने पाया कि वायरल प्रश्न पत्र के सभी प्रश्न परीक्षा में पूछे गए से मिल रहे हैं। जांच टीम की रिपोर्ट के आधार पर परीक्षा रद्द करते हुए बीपीएससी ने डीजीपी से साइबर सेल के माध्यम से प्रश्न पत्र लीक मामले की जांच कराने का अनुरोध किया है। पहली बार इस तरह प्रश्न पत्र लीक होने के मामले में पूरी परीक्षा रद्द की गई है।
जांच के लिए डीजीपी ने टीम गठित की, जांच शुरू
67 वीं बीपीएससी पेपर लीक मामले में डीजीपी ने जांच कमेटी गठित कर दी है। डीजीपी एसके सिंघल ने कहा कि ईओयू के एडीजी नैयर हसनैन खान के नेतृत्व में जांच के लिए एक्सपर्ट की टीम बना दी गई है। जांच शुरू भी हाे गई है। डीजीपी ने कहा कि प्रश्नपत्र का सेट सी लीक हुआ था। बीपीएससी ने आंतरिक जांच कर पीटी परीक्षा रद कर दी है। बीपीएसएसी से साइबर सेल से जांच कराने का अनुराेध किया गया था। चूंकि साइबर सेल ईओयू के अधीन काम करता है, इसलिए ईओयू के एडीजी के नेतृत्व में टीम बनाई गई है। सिंघल से जब यह पूछा गया कि पेपर कहां से लीक हुआ? पेपर परीक्षा शुरू हाेने से कितने देर पहले लीक हुआ? इसपर उन्हाेेंने कहा कि इसकी जानकारी हमें नहीं है। जांच के बाद ही इसका उत्तर दे पाएंगे। सरकार ने इस मामले काे गंभीरता से लिया है। बीपीएससी की विशवश्नियता बनी रहे इसके लिए हम सभी कटिबद्ध हैं। पेपर लीक में जाे भी सूचनाएं मिली हैं, सारे साक्ष्याें का वैज्ञानिक तरीके से विशलेषण किया जा रहा है।
इंटर स्तरीय परीक्षा का प्रश्नपत्र 5 साल पहले लीक हुआथा
बीएसएससी इंटरस्तरीय परीक्षा का पेपर लीक पांच साल पहले हुआ था। पेपर लीक हाेने के बाद छात्राें ने बवाल किया था। बीएसएससी के दफ्तर का घेराव किया गया था। मामले की गंभीरता काे देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस मामले में खुद सामने आए और उन्हाेंने परीक्षा रद करने की घाेषणा की थी। सरकार के आदेश पर पपेर लीक की जांच करने के लिए तत्कालीन एसएसपी मनु महाराज के नेतृत्व में एसआईटी गठित की गई थी। एसआईटी ने इस मामले में बीएसएससी के अध्यक्ष सुधीर कुमार, सचिव परमेश्वर राम, पेपर छापने वाले, प्रश्नपत्र सेट करने वाले से लेकर अध्यक्ष के कई परिजनाें, आईटी मैनेजर समेत करीब तीन दर्जन काे गिरफ्तार किया था। सुधीर करीब साढ़े तीन साल तक इस मामले में जेल में रहे थे। सुप्रीम काेर्ट से उन्हें 6 अक्टूबर 2020 काे जमानत मिली थी।