Published on April 12, 2022 12:36 pm by MaiBihar Media
पशुपालन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने को लेकर पशुपालक किसानों को पशु के प्रजाति, पशुओं के रोग-उपचार, खानपान व रखरखाव सहित पूरे वर्ष हरा चारा की समस्या से छुटकारा के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। बेहतर दुग्ध उत्पादन के लिए दुधारू पशुओं के लिए पौष्टिक दाने व चारे के साथ हरा चारा खिलाना बहुत जरूरी है। हरा चारा पशुओं के अंदर पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता है। जिसके लिए हरे चारे की खास जरूरत है। लेकिन वर्ष के कुछ महीने ऐसे भी आते हैं जिनमें हरा चारा नहीं मिल पाता है। ऐसे में पशुओं को पोषक तत्व नहीं मिल पाता है। इससे पशुओं के शारीरिक क्षमता पर प्रतिकूल असर पड़ता है। इसलिए पशुओं को हर मौसम में हरा चारा उपलब्ध हो इसके लिए साइनेज विधि जरूरी है। इसके लिए पशुपालन विभाग ने कहा कि ज्वार, मक्का, लोबिया, गिन्नी घास, बरसीम आदि से साइनेज बनाया जा सकता है।
इसे किया जा जा सकता है संरक्षित
मशीन की मदद से हरे चारे की कुट्टी करके उन्हें प्लास्टिक बैग में भर दिया जाता है। इस चारे को पशुपालक दो वर्ष तक संरक्षित रख सकते है। पशुओं को खाने में हरा चारा देना सर्वश्रेष्ठ है। हरे चारे की अनुउपलब्धता की स्थिति में वैकल्पिक चार पशुओं को खिलाना चाहिए। खासकर दुधारू पशुओं में हरे चारे और पोषणयुक्त चारे का विशेष महत्व दिया जाना चाहिए। उन्होंने किसानों से कहा कि दुधारू पशुओं को चारे में विटामिन, मिनिरल्स, कैल्शियम, सूक्ष्म पोषक तत्व समेत अन्य पोषण युक्त चारे का प्रयोग करना चाहिए। प्रशिक्षण के दौरान किसानों को हरे चारे की बोआई व उसकी देखभाल और कटाई के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी जाएगी।
किसानों में जानकारी का अभाव
बहुत सारे किसान और पशुपालन चारे के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं होने के चलते पशुओं को सही मात्रा और उचित पोषक तत्व वाला चारा नहीं खिलाते। इससे उनके पशु कमजोर हो जाते हैं। उचित पोषणयुक्त चारे के अभाव में दुधारू पशुओं में दूध की कमी तथा गर्भाधान की कमी भी देखी जाती है।
ज्यादा दूध देंगे पशु, मिलेगा फायदा
अगर किसानों द्वारा तय मानक के अनुसार पोषक तत्वों से युक्त चारा पशुओं दिया जाए तो एक तरफ जहां पशुओं में गर्भाधान की समस्या नहीं आएगी। वहीं, दुधारू पशुओं से ज्यादा से ज्यादा दूध भी लिया जा सकता है।