Published on April 12, 2022 12:10 pm by MaiBihar Media
ग्रीष्मकालीन मूंग उगाकर कर अच्छी आमदनी के साथ-साथ धान, गेहूं और ज्वार गेहूं फसल चक्र में मूंग का समावेश कर भूमि की उर्वरा शक्ति किसान बढ़ा सकते हैं। धान गेहूं फसल चक्र के लंबे समय से प्रचलन के कारण भूमि की उर्वरा शक्ति में कमी आ रही है। किसान एमएच 421, एमएच 318, बसंती, सत्या व एस एम एल 668 किस्मों की बुआई कर प्रति एकड़ 4 क्विंटल तक पैदावार ले सकते हैं।
जानिए ग्रीष्मकालीन मूंग उगाने के लाभ
▪ ग्रीष्म में खरपतवारों का प्रकोप कम होता है।
▪ कम आद्रता के कारण बीमारियों व कीड़ों का प्रकोप कम होता है।
▪ जल्दी पकने से वर्षा इत्यादि से बचाव होता है।
▪ प्राकृतिक संसाधनों का सदुपयोग हो जाता है।
▪ किसानों की अतिरिक्त आय हो जाती है।
फसल चक्र में मूल्य संवर्धन का काम करती मूंग
कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक ग्रीष्मकालीन मूंग प्रचलित धान गेहूं के फसल चक्र में मूल्य संवर्धन का कार्य करती है। धान गेहूं के अलावे तुरई आलू सरसों मटर गन्ना व कभी-कभी रवि फसल खराब होने के कारण भी खेत मार्च महीने से अगले खरीफ की फसल लगने तक खाली रहते हैं। ऐसे खेतों में ग्रीष्मकालीन मूंग उगा कर उनका सदुपयोग किया जा सकता है। जिससे अतिरिक्त आमदनी होती है।
कब और कैसे की जाती है मूंग की खेती
▪ मूंग के लिए दोमट मिट्टी या रेतीली दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती है। लेकिन भारी मिट्टी में भी मूंग की खेती हो सकती है।
▪ ग्रीष्मकालीन मूंग की बिजाई के लिए मार्च उत्तम है। लेकिन अप्रैल के पहले पखवाड़े या दूसरे पखवाड़े तक भी इसकी बिजाई हो सकती है। पछेती बिजाई से अधिक तापमान गर्म शुष्क हवा तथा अगेती मानसून का उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है ।
▪ बीज को बोने से पहले पानी में भिगों दे। हल्का व खराब बीज पानी में तैर जाएगा उसे निकाल दें। इसके बाद बीज को सुखाएं जड़ गलन रोग से बचाव के लिए प्रति किलो बीज को 4 ग्राम थाइरम से उपचारित करें।
▪ बिजाई के समय 1 एकड़ में 6 से 8 किलो नाइट्रोजन व 16 किलो फास्फोरस डालें। इसके लिए 13 से 17 किलो यूरिया व 100 किलो सिंगल सुपर फास्फेट बिजाई के समय डालें।