Published on April 10, 2022 7:08 am by MaiBihar Media
भगवान नारायण के सातवें अवतार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का अवतरण दिवस रामनवमी रविवार मनेगी। मान्यता है कि प्रभु श्रीराम का जन्म चैत्र शुक्ल नवमी को पुनर्वसु नक्षत्र व कर्क लग्न से युक्त मध्याह्न काल में हुआ था। इस दिन पवित्र गंगा नदी या जलाशयों में स्नान करने से कई गुना पुण्य फल प्राप्त होता है। इस दिन भगवान राम के साथ हनुमान की पूजा अति फलदायी होती है। रामनवमी को राम रक्षास्त्रोत्र, रामचरितमानस, राम स्तुति, रामाष्टक, राम कवच, हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमानाष्टक, सुंदरकांड आदि का पाठ करने से शत्रु शमन, उच्च पद की प्राप्ति, मानसिक शांति, नेतृत्व क्षमता, मनोबल में वृद्धि, संबंधों में मधुरता व प्रगति के अवसरों की प्राप्ति होती है। चैत्र शुक्ल नवमी को माता दुर्गा को अपराजिता पुष्प, इत्र, अभ्रक व सुगंधित धुप अर्पण करने से मनोवांक्षित कामना की शीघ्र पूर्ति होगी। शनि और राहु ग्रह के प्रकोप से भी शांति मिलेगी। चैत्र नवरात्र करने वाले श्रद्धालु रविवार को कन्या पूजन, हवन व पुष्पांजलि करेंगे।
आज बन रहा है त्रिवेणी संयोग
जानकारों ने बताया कि रामनवमी पर तीन शुभ योगों के एक साथ होने से त्रिवेणी संयोग बन रहा है। चैत्र शुक्ल नवमी को रवि पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग एवं रवियोग के होने से इस पुण्यकारी संयोग का निर्माण हुआ है। इसके साथ ही पुष्य नक्षत्र व सुकर्मा योग का भी युग्म संयोग बना है।
यश, बल, बुद्धि, ऐश्वर्य की होती है प्राप्ति
ग्रह-गोचरों के इस शुभ संयोग में प्रभु श्रीराम, माता सीता एवं हनुमान की आराधना से यश, बल, बुद्धि, ऐश्वर्य, उन्नति, आपसी प्रेम, भैतिक सुख का विकाश होगा। रामनवमी को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की आराधना से जातक को दैहिक, दैविक व भौतिक कष्टों से मुक्ति और इस दिन घरों में महावीरी ध्वज, पताका, तोरण या बंदनवार लगाने से शुभता का वास होता है। इसी दिन गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस की रचना की थी।