Published on March 28, 2022 11:24 am by MaiBihar Media

आखिरकर पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री मुकेश सहनी की कुर्सी छिन गई। आपको बता दें कि मुकेश सहनी को हटाने लिए भाजपा ने लिखित अनुशंसा की थी। जिसके बाद सीएम ने इस बारे में राज्यपाल फागू चौहान को सिफारिश भेजी। सीएम द्वारा भेजी गई सिफारिश को राज्यपाल ने मंजूर कर लिया। भाजपा ने मुख्यमंत्री को लिखकर बताया था कि मुकेश सहनी अब एनडीए के हिस्सा नहीं हैं। मुकेश की विधान परिषद की सदस्यता भी खतरे में आ गई है। उनकी सदस्यता की अवधि जुलाई 2022 में पूरी हो रही है।
आपको बता दें किया यह सारा खेल 23 मार्च खेला जा चुका था, जब वीआईपी के तीनों विधायक मिश्री लाल यादव, स्वर्णा सिंह, राजू कुमार सिंह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए। उसके बाद से भाजपा मुकेश से लगातार इस्तीफा मांग रही थी। मुकेश का कहना था कि वे खुद मंत्री पद नहीं छोड़ेंगे। बीते विधानसभा चुनाव में मुकेश भाजपा कोटे से एनडीए में आए थे। रविवार को भाजपा ने मुख्यमंत्री को लिखित तौर बताया कि अब मुकेश एनडीए का हिस्सा नहीं हैं, सो उन्हें मंत्री पद से हटाया जाए।
भाजपा अति पिछड़ा के एक बेटे को आगे बढ़ता नहीं देखना चाहती
वीआईपी के सुप्रीमो मुकेश सहनी ने कहा कि संघर्ष के बल पर मुंबई के साथ-साथ राजनीति में मुकाम बनाया हूं। मंत्री रहूं या ना रहूं इससे कोई फर्क पड़ता है। भाजपा अति पिछड़ा के एक बेटे को आगे बढ़ता नहीं देखना चाहती है। निषाद,पिछड़ा-अति पिछड़ा के हक और जननायक कर्पूरी ठाकुर के सपना को पूरा के लिए संघर्ष करता रहूंगा। इसका अंजाम चाहे तो हो।
यूपी चुनाव के दौरान से ही तल्खी थी बरकरार
मुकेश का भाजपा से संबंध, उत्तरप्रदेश चुनाव के दौरान अचानक बहुत खराब हो गया। यह खराब होता ही गया। उनकी पार्टी ने यूपी चुनाव में 165 सीटों पर भाजपा के खिलाफ उम्मीदवार उतारे थे। यूपी चुनाव में वीआईपी बुरी तरह हारी। उसी समय मान लिया गया था कि भाजपा, मुकेश को नहीं छोड़ेगी। भाजपाई, चेताने की मुद्रा में मुकेश के खिलाफ मोर्चा खोले रहे। लेकिन मुकेश नहीं माने। जिसका खामियाजा भुगतना पड़ा।

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