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Published on November 21, 2021 6:57 pm by MaiBihar Media

सिवान जिला परिषद के सभागार में विश्व मात्स्यिकी दिवस के अवसर पर शनिवार को संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन उप विकास आयुक्त दीपक सिंह और जिला मत्स्य पदाधिकारी प्रदीप कुमार ने दीप प्रज्वलित कर किया। इसमें मत्स्य पालकों और उद्यमियों को सरकार द्वारा चलायी जा रही योजनाओं की जानकारी विस्तार पूर्वक दी गई। इसमें बताया गया कि सरकार मत्स्य पालकों के आय दोगुनी करने के योजना पर काम कर रही है। मछली पालकों को किसान क्रेडिट कार्ड मिलेगा तथा अनुदान भी दी जाएगी।

मछली पालकर बदल सकते हैं तस्वीर
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए उप विकास आयुक्त ने कहा कि सीवान जिले में मछली पालन करने की असीम संभावनाएं है। मछली पालन से किसानों की तकदीर बदल सकती है। यह रोजगार का एक बेहतर साधन हो सकता है। मत्स्य पालकों को इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है ताकि आने वाले समय में खुद ताजी मछली पर सीवान आत्मनिर्भर बने। अगर यहां पर प्रर्याप्त मात्रा में मछली का उत्पादन होने लगेगा तो लोगों को ताजी मछलियां मिलेंगी और दूसरे प्रदेशों के मछली के भरोसे नहीं रहना पड़ेगा। उन्होंने सरकार की योजनाओं का लाभ लेने की अपील की।

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उन्होंने बताया कि सीवान जिले में करीब 1100 तालाब है और जिले को 11 हजार मीट्रिक टन मछली उत्पादन करने का लक्ष्य भी मिला है। कहा कि मात्स्यिकी दिवस मनाना ही काफी नहीं होगा। बल्कि इसके मायने तब सार्थक होंगे जब हम एक-एक जलाशयों में मछली पालन कर ना सिर्फ स्वावलंबी होंगे बल्कि रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे। ल

जिला मत्स्य पदाधिकारी प्रदीप कुमार ने कहा कि खेती करने वाले किसानों के साथ-साथ मछली पालन करने वाले किसानों को भी किसान क्रेडिट कार्ड दिया जायेगा। किसान क्रेडिट कार्ड के लिए प्रत्येक शुक्रवार को जिला मुख्यालय में मेगा क्रेडिट कैंप लगाया जायेगा। इस कैंप में योजना के लाभ लेने वाले किसान आवेदन कर सकेंगे। आवेदन देने के बाद किसानों को प्राप्ति रशीद दिये जायेंगे। इन्हें केसीसी के तहत 1 लाख 60 हजार रुपये तक बगैर किसी गारंटी अथवा सिक्योरिटी के लोन दिया जायेगा। बताया कि पात्र किसानों को केसीसी की सुविधा मुहैया कराने के लिए जिले भर में तीन महीने तक कैंप लगाकर आवेदन प्राप्त किया जाना है।

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मत्स्यपालकों को चार बिंदुओ पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत
जानकारी दी गयी कि मछली पालन में प्रबंधन की दृष्टिकोण से मुख्यत: चार बिंदुओ पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है। इसमें तालाब प्रबंधन, मत्स्य बीज प्रबंधन, पूरक आहार प्रबंधन एवं रोग से बचाव से संबंधि प्रबंधन शामिल है। कहा कि इन चीजों के बेहतर प्रबंधन से किसान प्रति हेक्टेयर मछली की पैदावार अधिक से अधिक लेकर अपनी आमदनी बढ़ा सकता है। मछली पालन के बेहतर प्रबंधन के लिए मछली के रोगों के उपचार से ज्यादा महत्वपूर्ण है कि मछली में होने वाली प्रचलित बीमारियों से मछलियों को बचाया जाए।

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प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना की दी गयी जानकारी

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के संबंध में जानकारी विस्तार पूर्वक दी गयी। बताया कि योजना से मत्सय पालकों को बढ़ावा देने के लिए काम किया जा रहा है। मत्स्य पालकों की सुविधा और समृद्धि के लिए सरकार द्वारा प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना चलाई जा रही है। डीएफओ ने बताया कि योजना के तहत मत्स्य बीज हैचरी के स्थापना के लिए तीन एकड़ भूमी की आवश्यकता पड़ती है। इसकी लागत पर 25 लाख रूपया खर्च आता है। एससी-एसटी व महिला वर्ग के लिए 15 लाख अन्य वर्ग को 10 लाख की राशि अनुदान मिलेगा। नये तालाब के लिए इनपुट की योजना 0.1 से 2 हेक्टेयर पर 4 लाख लागत आयेगा। इसमें भी अनुदान मिलेगा।

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