Published on November 16, 2021 11:02 pm by MaiBihar Media

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उपराष्ट्रपति के साथ रविवार को पीपराकोठी में आयोजित डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा की स्थापना के दिनों याद करते हुए कहा कि शुरुआत में काफी संघर्ष करना पड़ा था। आज राज्य में कृषि के क्षेत्र में कई विश्वविद्यालय व महाविद्यालय सेवा दे रहे हैं।

धान-गेहूं की उत्पादकता में हुई बढ़ोतरी

कृषि का व्यापक रोडमैप तैयार किया गया है। किसान मौसम व पर्यावरण के अनुसार खेती कर रहे हैं। विश्वविद्यालय की मदद से इसे बढ़ावा दिया जा रहा है। इसी कड़ी में जल जीवन हरियाली कार्यक्रम चलाया जा रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि राज्य में धान, गेहूं व मक्का की उत्पादकता में दोगुनी वृद्धि हुई है। इसी का परिणाम है कि राज्य को पांच कृषि कर्मण पुरस्कार मिला है।

पर्यावरण को बचाने की अपील मुख्यमंत्री ने की

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आगे उन्होंने कहा कि फसल अवशिष्ट प्रबंधन पर काम हो रहा है। किसान अपने खेतों में पुआल जलाएं नहीं, पर्यावरण को बचाएं। राज्य के 76 प्रतिशत लोग खेती पर निर्भर हैं। यहां से डिग्री हासिल करनेवाले विद्यार्थी राज्य हित में काम करें। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राज्य से प्रतिभा की कमी नहीं है। मगर, डिग्री हासिल कर अधिकतर बच्चे दूसरे राज्यों में पलायन कर जाते हैं। विद्यार्थियों का पलायन रोकने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है।

तीन अन्य जिलों में भी कृषि क्षेत्र में होगा कार्य

विद्यार्थियों को रोकने के लिए 2012 में यहां पढ़नेवाले बच्चों को 2000 रुपए की मदद शुरू की गयी। अन्य कई योजनाओं पर काम चल रहा है। देश में आबादी के हिसाब से हम तीसरे नंबर पर हैं, जबकि क्षेत्रफल की दृष्टि से हमारा स्थान देश में 12वां है। हमें जनसंख्या नियंत्रण पर विचार करना होगा। इसी उद्देश्य से महिला शिक्षा पर विशेष जोर दिया जा रहा है। जल्द ही सारण, मधुबनी व औरंगाबाद में भी कृषि के क्षेत्र में काम शुरू होगा।

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