सोमवार को योजना एवं विकास मंत्री सूचना भवन में विभागीय प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि योजना एवं विकास मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि बिहार राज्य के लिए विशेष दर्जे की मांग पर केंद्र सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। अब तो केंद्र सरकार ने यह भी घोषणा कर दी है कि किसी भी राज्य को विशेष राज्य दर्जा नहीं दिया जाएगा। अब सरकार, राज्य के लिए विशेष दर्जे की मांग नहीं करेगी।

कमिटी बनी, रिपोर्ट सौंपा गया पर नतिजा कुछ भी नहीं
उन्होंने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने एक इसके लिए कमिटी का गठन किया था, उसकी रिपोर्ट भी पेश की गई, लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला। हालांकि उन्होंनें कहा कि बिहार के लिए हर क्षेत्र में विशेष सहायता की मांग की जाती रहेगी। बिहार की जनता भी इस बात को जनती है की राज्य को विशेष सहायता की जरूरत है।

नीति आयोग ने बिहार के साथ नहीं किया न्याय
मंत्री ने कि कि नीति आयोग ने बिहार के साथ न्याय नहीं किया है। जिन सूचकांकों में बिहार की स्थिति बेहतर उससे एसडीजी इंडेक्स में शामिल नहीं किया गया है। जो आंकड़े लिए गए हैं वह भी अपडेट नहीं है। पुराने आंकड़ों के आधार पर रैंकिंग की गई है, जो कहीं से भी उचित नहीं है।

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बिहार में गरीबी दर में तेजी से कमी आई है
मंत्री ने कहा यदि एसडीजी इंडेक्स के प्रथम गोल गरीबी पर ध्यान दे तो बिहार में गरीबी दर में तेजी से कमी आई है। वर्ष 2004-05 में राज्य में गरीबी दर 54.4 फीसदी थी, जो वर्ष 2011 में कम होकर 33.7 फीसदी रह गई। इस अवधि में राज्य में गरीबी दर में 21.6 फीसदी की कमी आई है। नीति आयोग के एसडीजी इंडेक्स की रैंकिंग में इस बात को महत्व नहीं दिया गया है।

एसडीजी इंडेक्स में पिछले वर्ष की तुलना में राज्य की स्थिति सुधरी
योजना एवं विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने कहा कि एसडीजी इंडिया इंडेक्स 2019-20 की तुलना में वर्ष 2020-21 की रैंकिंग में राज्य की स्थिति सुधरी है। पिछली रिपोर्ट में बिहार को 50 अंक मिले थे,जबकि इस रिपोर्ट में 52 अंक मिले हैँ। उन्होंने कहा कि दरअसल नीति आयोग ने पुराने आंकड़ों के आधार पर राज्य की रैंकिंग किया है। अगर आयोग नए आंकड़ों पर ध्यान देती राज्य की रैंकिंग और बेहतर होती। वहीं, दूसरी ओर राज्य के लिए जो मानक निर्धारित किए गए हैं, वह फेयर नहीं है।बहुत सारे मानक में संशोधन की जरूरत है। जल एंव स्वच्छता की उपलब्धता के मामले में बिहार 91अंक लेकर पांचवें स्थान पर है।

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