धान समेत अन्य फसलों की अच्छी उत्पादन के लिए संतुलित उर्वरक का प्रयोग करना जरूरी हैं। हमारी जमीन में सल्फर की बहुत ज्यादा कमी पाई जा रही है, जिसके कारण खेतों में बहुत सारी बीमारियां और कीटों का प्रकोप देखने को मिल रहा है। ये बातें किसान विज्ञान केंद्र के हेड डॉ पीके द्विवेदी ने कहीं।
ज्यादा खाद डालने से पत्तियां हो जाती हैं पीली
ज्यादा यूरिया का प्रयोग करने के कारण धान के पौधों की नई पत्ती पीली हो रही है और पौधों का विकास गंधक की कमी के कारण रुक रहा है, इसकी कमी दूर करने के लिए 90 प्रतिशत सल्फर जो बेंटोनाइट के नाम जाना चाहता है, का 8 किलोग्राम प्रति एकड़ उपयोग आवश्यक है। सल्फर की लिए आप 20-20-13 पर अर्थात अमोनियम फास्फेट सल्फेट का भी प्रयोग कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त आज जमीन में शुक्ष्म जीव जिनसे भोजन का निर्माण होता है, इनकी भी कमी हो गई है। अतः आपको जीवाणु उर्वरक का प्रयोग करना चाहिए यह हमारी मिट्टी के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में काफी सहयोगी होते हैं।
नैनो का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करें किसान
मौके पर किसानों को समझाते हुए कृषि वैज्ञानिक ने कहा कि वर्तमान समय में खेतों में कई तरह के कीड़े एवं बीमारियों का भी प्रकोप देखा जा रहा है। संक्रमण की अवस्था में यूरिया का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इससे पौधों का स्वास्थ और खराब होता है, आज यूरिया की विकल्प के रूप में नैनों यूरिया भी आ गई है।
एक एकड़ में आधा लीटर नैनो को 120 लीटर पानी में मिलाकर करें छिड़काव
आधा लीटर नैनो को 120 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ में छिड़काव करने से अलग से ढेर यूरिया का प्रयोग करने की आवश्यकता नहीं होती है। किसानों को सलाह दिया गया कि वे अपने खेतों में उर्वरक का प्रयोग करने से पूर्व मिट्टी की जांच अवश्य करा ले। इससे संतुलित उर्वरक प्रयोग में काफी सुविधा होगी, साथ ही पौधे ज्यादा स्वस्थ होंगे और आपको उत्पादन भी सही प्राप्त होगा।