इस वर्ष विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र मेले के आयोजन की मांग को लेकर सोनपूर व नयागांव में एकदिवसीय महाधरना का आयोजन किया गया । जिसमें लोगों ने इस क्षेत्र के ह्रर एक वर्ग के लोग पार्टी जाति के बंधन को छोड़ बिहार व देश की ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक व पौराणिक विरासत को बचाने के लिए अपनी आवाज को बुलंद किया।
सरकार पर लगाया अनदेखी करने का आरोप
महाधरना के दौरान वक्ताओं ने कहा कि हजारों वर्षों से लग रही इस मेले का इतिहास बहुत ही गौरवपूर्ण है और इस मेले से बिहार ही नहीं बल्कि देश के विभिन्न राज्यों के साथ विश्व के विभिन्न देशों के लोगों का जुड़ाव रहा है। लेकिन इस मेले की गौरवपूर्ण अतीत को जानबूझ कर नजरअंदाज करते हुए इस धरोहर व विरासत को खत्म करने के लिए हमेशा से ही प्रहार होते रहे है। जिस मेला को भारत का सबसे शानदार मेला के आयोजनों में अव्वल होना चाहिए था उस मेले के प्रति सरकार की उदासीनता के कारण यह सिकुड़ता जा रहा है। राष्ट्रीय मेला की कौन कहे अब इसे राज्यस्तरीय मेला में भी सबसे निचले पायदान पर दिखाई पड़ता है। विडंबना देखिए कि जिस मेला का उद्घाटन राष्ट्रीय स्तर पर होना चाहिए उस मेले के उद्घाटन में मुख्यमंत्री भी शामिल नहीं होते है। यह हमसबके लिए शर्म की बात है।
पंचायत चुनाव हो सकता है तो मेले का आयोजन क्यों नहीं
अन्य धार्मिक आयोजनों की ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि सब कुछ हो पर सिर्फ सोनपुर मेला न लगे यह कैसी सरकार की नीति है जबकि कोरोना की स्थिति अभी पूरी तरह नियंत्रण में है एवं देश की हर गतिविधि पूरे फ्लो में चल रहे है और पंचायत चुनाव में सरकार करा रही है। सभा के दौरान ‘कोविड मात्र बहाना है मेले को मिटाना है’ और ‘आस्था पर हो रहा प्रहार, हो न जाये गज की हार’ जैसे श्लोगन के नारे लगाये। वहीं नगर पंचायत के मुख्य ने कहा कि बोर्ड की बैठक में सोनपुर मेला लगाए जाने का प्रस्ताव पारित हुआ है। सरकार अगर मेला नहीं लगाई तो नगर पंचायत अपने स्तर से मेला लगाने की व्यवस्था करेगी। यह मेला हजारों वर्ष पूर्व से कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लगते आ रहा है। गत वर्ष कोविड 19 महामारी के कारण यह मेला नहीं लग पाया था। इस मेले का ऐतिहासिक, धार्मिक, पौराणिक और आर्थिक महत्व है।
पर देश के कोने-कोने से आते है हजारों श्रद्धालु
इस अवसर पर देश के कोने-कोने से श्रद्धालु स्नान करने आते है तथा बाबा हरिहरनाथ मंदिर में जलाभिषेक करते है साथ ही देश के कोने कोने से व्यापारी अपना व्यापार करने आते है। पिछले वर्ष मेले के आयोजन न होने से स्थानीय लोगों के साथ सूबे व देश के विभिन्न राज्यों के व्यापारियों के समक्ष आर्थिक स्थिति खराब होने से भुखमरी की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गुई है। मेला से जुड़े लोग अपने जमीन जायदाद बेचकर परिवार के भरण पोषण करने को मजबूर होना पड़ा है। लोगों ने एसडीओ के माध्यम से सीएम के साथ मुख्य सचिव, पर्यटन मंत्री, कला संस्कृति मंत्री व डीएम को ज्ञापन सौंपते हुए आग्रह किया कि जल्द ही इस पर फैसला ले अन्यथा यहां के लोग मेले के आयोजन की मांग पूरे होने तक चरणबद्ध आंदोलन
सोनपुर ही नहीं बल्कि बिहार का गौरव मेला
इस धरना प्रदर्शन में बुजुर्गों, युवाओं के साथ-साथ सामाजिक, राजनीतिक कार्यकर्ता भी बढ़-चढ़कर शामिल हुए। वक्ताओं ने कहा कि सोनपुर ही नहीं बल्कि बिहार का गौरव और सांस्कृतिक धरोहर व धार्मिक स्थल के साथ-साथ सदियों से चली आ रही हरिहर क्षेत्र मेला सरकार कोरोना की बहाना बनाकर इस मेले को धीरे- धीरे सीमित करने का मानसा रख रही है। ऐसे में काफी लोगों को इस मेला के न लगने से छोटे से छोटे व बड़े से बड़े व्यापारी, बेरोजगार युवाओं ,किसानों के साथ-साथ हर तरह की विकसित बिहार के सपना देखने वाले वैसे लोगों के लिए मेला न लगना अशोभनीय है ।
मेले के आयोजन से हजारों लोगों को मिलता है लाभ
इस मेला के लगने से लाखों किसानों, बेरोजगारो, मजदूरो और व्यापारियों के यहां तक की घरेलू सामान की खरीद बिक्री से लाभान्वित होते है। साथ ही सरकारी स्तर पर लगाए गए प्रदर्शनी से लाखों लोग विभिन्न जिलों से लोग आकर योजना की जानकारी लेते है।
कोरोना प्रोटोकाल का पालन करते हुए लगाएं मेला
इस धरना के माध्यम से सरकार को अवगत कराया जा रहा है कि जल्द से जल्द कानूनी प्रक्रिया के तहत यह मेला कोविड-19 के तहत अनुपालन करते हुए मेला लगाएं। क्योंकि सोनपुर हरिहर क्षेत्र मेला राज्य का धरोहर और स्वाभिमान है तभी तो न केबल भारत के विभिन्न राज्यों से बल्कि दर्दनाधिक देशों के पर्यटक मेला में शिरकत करते हैं तथा इन पर्यटकों से लाखों, करोड़ो के आय होती है इसलिये यह मेला जो सदियों से लगती चली आ रही है उसे पुनः मेला लगाया जाए । अगर इस धरना प्रदर्शन से सरकार अगर कोई पहल नही कर रही है तो यहां के आम जनता अब नए- नए हथकंडे लेकिन विधिसंगत के तहत मेला को लगाने के लिए कोई ठोस पहल करेगी ।