Published on September 19, 2021 6:10 pm by MaiBihar Media

गया ऐतिहासिक एवं पौराणिक शहर है। इसे मोक्ष धाम भी कहा जाता है। क्योंकि पितरों की मोक्ष के लिए सबसे उत्तम स्थान गया जी को माना गया है। जहां प्रत्येक दिन अपने पितरों के मोक्ष की कामना को लेकर पिंडदानी गया में आकर पिंड दान एवं तर्पण करते हैं। लेकिन पितृ पक्ष में गया जी की महत्त्व और अधिक बढ़ जाता है। जहां देश विदेश से काफी संख्या में तीर्थयात्री गया जी आते हैं। 20 सितंबर से पितृपक्ष शुरू हो रहा है।

कर्मकांड पर नहीं है प्रतिबंध मेला पर रोक

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सरकारी घोषणाओं में मेला का आयोजन नहीं किया गया है। जबकि कर्मकांड को लेकर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं है। पितृपक्ष को देखते हुए तीर्थयात्री गया जी आना शुरू कर दिये है। ट्रेन के साथ-साथ बस एवं चार पहिया वाहन से भी गया आ रहे हैं। जहां सोमवार से पिंड दान करें। तीर्थयात्री शहर में स्थित होटल एवं धर्मशाला में अपना आवासन कर रहे हैं। साथ ही गोपाल पुरोहित के द्वारा उपलब्ध कराए हुए स्थानों पर रहे हैं। जहां एक दिन 3 दिन 7 दिन एवं 15 दिन का कर्मकांड करेंगे।

सरोवर के तट पर पिंडदानयों ने किया तर्पण

15 दिन एवं 17 दिन के श्राद्ध कर्म करने वाले पिंडदानी चतुर्दशी तिथि से ही कर्मकांड प्रारंभ कर देते हैं। जो पिंडदानी पुनपुन नहीं जाते वे शहर में स्थित गोदावरी सरोवर के पवित्र जल से अपने पितृ को मोक्ष की कामना के लिए तर्पण करते हैं। इसी क्रम में रविवार को सरोवर के तट पर पिंडदानयों ने तर्पण किया।

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पिंडवेदियो के लिए विशेष व्यवस्था

पितृपक्ष को लेकर पिडवेदियो पर विशेष व्यवस्था की गई है। शहर में स्थित देवघाट सीता कुंड उत्तर मानस अक्षय वट रामशिला प्रेतशिला आदि सहित कई पिंड वैदियों पर साफ सफाई के अलावा विशेष व्यवस्था की गई है। जिससे कर्मकांड करने में तीर्थ यात्रियों को किसी तरह की परेशानी ना हो।

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