Published on September 3, 2021 8:57 pm by MaiBihar Media

बागमती (Bagmati) नदी का कटाव लगातार जारी है। जिससे मेजरगंज प्रखंड के पांच हजार आबादी वाले रुसुलपुर व रघुनाथपुर गांव तथा सुप्पी प्रखंड के जमला गांव की 12 सौ आबादी प्रभावित हुई है। बाढ़ की स्थिति और भी गंभीर होते जा रही है। अधिकारियों का यहां आना जाना लगातार जारी है, लेकिन सुरक्षात्मक उपाय का भले ही इन ग्रामीणों को बार-बार सुझाव दिया जाता रहा हो, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, जिससे ग्रामिणों में आक्रोश व्याप्त है।

निकटवर्ती गांवों के स्थित बागमती नदी की धार अब महज सौ मीटर की दूरी तक पहुंच चुकी है। इसके कारण कई ग्रामीण गांव छोड़ सुरक्षित स्थानों पर बस गये हैं। बाढ़ (Flood) के दिनों में गांव की स्थिति और भी अधिक खराब हो जाती है। गांव से निकलने के लिए तीन से चार फीट तक पानी पार करना मजबूरी होता है।

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बागमती के कटाव में अब तक तीनों गांव के हजारों एकड़ जमीन नदी में समा चुका है। जिससे कृषि पर आश्रित इन गांवों की स्थिति खराब होने लगी है। बचे हुए सरेह के खेतों कही सिल्ट जमा हो गया है तो कहीं जलजमाव की समस्या बनी हुई है। इससे फसल को काफी हानि हो रही है। कार्यपालक अभियंता अनवर जमील ने बताया कि कटाव का तत्काल प्रभाव से रोकने के लिए बांस व बालू के बोरा से काम किया गया है। यह कारगर भी साबित हो रहा है। काम के स्थान पर सिल्ट जमा होने लगा है, कटाव रूक गया है। बारिश के सीजन के बाद प्लान के साथ कटाव व बाढ़ की समस्या का स्थायी समाधान करने के लिए विभाग तैयारी कर चुकी है।

जमला के लोगों का कहना है कि एक दर्जन से अधिक लोग तो अब पूर्ण रूप से ही गांव छोड़ चुके हैं। गांव कृषि पर आश्रित था, लेकिन जब नदी से जमीन ही कट गया तो अब हमें घर के साथ ही रोजी रोटी की तलाश भी करनी पड़ रही है। गांव के अधिकतर लोग बाहर मजदूरी करके जीवन यापन कर रहे हैं। प्रशासन व विभाग तीन साल से कट रहे जमीन पर ध्यान नहीं दिया है और अब ध्यान देकर ही हमारी खुशहाली तो लाया नहीं जा सकता।

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