Published on August 9, 2021 9:58 pm by MaiBihar Media

जातीय जनगणना की मांग को लेकर आज बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, हमारी पुरानी मांग है और हमने इसको लेकर प्रधानमंत्री को चिठ्ठी लिखी है जिसका जवाब प्रधानमंत्री के तरफ से अभी नहीं आया है। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि हम चाहते हैं कि जाति आधारित जनगणना हो जाए। एक बार इस तरह की जनगणना हो जाएगी तो पता चल जाएगा कि किस जाति के लोगों की देश में क्या स्थिति है। यह सब के हित के लिए है। इस बारे में निर्णय केंद्र सरकार को लेना है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा, जाति-आधारित जनगणना सभी जातियों को उनकी सटीक संख्या प्राप्त करने, और फिर उसके अनुसार नीतियां बनाने में मदद करेगी। यह देश के हित में है।

आपको बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसका जवाब पत्रकारों के सवालों के जवाब में दिया। मालूम हो कि इससे पहले भी कई मौकों पर जातीय जनगणना के समर्थन में नीतीश कुमार बोल चुके हैं। मुख्यमंत्री ने कई बार कहा है कि सर्वसम्मति से दो बार विधानमंडल से यह पारित कराकर केंद्र सरकार को भेजा गया है। विधानसभा और विधान परिषद में सभी पार्टियों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया था। हम लोगों की इच्छा है कि जातीय जनगणना होनी चाहिए। हम सब लोगों को मालूम है विपक्षी दलों की राय से हम सब लोग सहमत है।

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मालूम हो कि सात अगस्त के दिन राजद ने पूरे बिहार के जिलामुख्यालयों में इस मांग को लेकर जोरदार धरना-प्रदर्शन भी किया था। साथ ही प्रधानमंत्री के नाम जिलाधिकारी को जाति आधारित गणना कराने की मांग की। विपक्ष समेत जदयू का मत है कि जाति आधारित जनगणना होना चाहिए। हालांकि केंद्र ने सदन में स्पष्ट कर दिया है कि जाति आधारित गणना इसबार नहीं होगी। जिसके बाद बिहार की राजनीति में जाति आधारित जनगणना एक मुद्दा बना हुआ है। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव पिछले दिनों सदन में कह चुके हैं कि अगर केंद्र जातीय जनगणना नहीं कराने को तैयार हो तो बिहार सरकार अपने खर्चें पर जनगणना कराएं। इसके लिए तेजस्वी यादव ने कर्नाटक में हुई जनगणना का तर्क दिया था।

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