Published on August 24, 2021 4:15 pm by MaiBihar Media
बिहार, राजगीर
आज अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस है। इस मौके पर आज बाघों को बचाने और उनकी प्रजातियों को संरक्षण करने की बात पूरे देशभर में दुहराई गयी। प्रधानमंत्री से लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं में शुभकामनाएं दी और संरक्षण करने की लोगों अपील से की। आइये जानते है बिहार के राजगीर जू सफारी की विशेषता जहां एशियाटिक शेर की एक नए प्रजाति को लाया गया है।
बिहार स्थित राजगीर के इकलौते जू सफारी में पशुओं को लाये जाने का सिलसिला जारी है। केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण से अनुमति के बाद यह प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है। पहली खेप में काकड़ प्रजाति के 8 हिरण और दूसरी खेप में पटना जू से एक रॉयल बंगाल टाइगर प्रजाति का नर और मादा बाघ लाया गया था। अब विभाग द्वारा तीसरी खेप में पटना जू से ही एशियाटिक नर लायन लाया गया है।
एशियाटिक नर लायन के लाए जाने के बाद सुरक्षा व्यवस्था के बीच क्वारेंटाइन में रखा गया है। खान-पान से लेकर रहने के वातावरण पर भी पूरा ध्यान दिया जा रहा है। जू सफारी के निदेशक हेमंत पाटिल ने बताया कि जू सफारी का निर्माण लगभग पूरा कर लिया गया है। जो भी काम बचा हुआ है उसे तेजी से पूरा किया जा रहा है। काम पूरा होने के बाद सरकार को रिपोर्ट दी जायेगी। इसके बाद सरकार से जैसा निर्देश मिलेगा उसी के अनुसार उद्घाटन किया जायेगा।
आगे जू सफारी के निदेशक हेमंत पाटिल ने बताया कि फाइनल काम को देखने के लिए जल्द ही केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की टीम निरीक्षण के लिए आयेगी। इसके लिए तैयारी की जा रही है। उन्होंने कहा कि लाये गये एशियाटिक लायन के खान-पान से लेकर वातावरण पर पूरा ध्यान रखा जा रहा है। उसे सेफ जोन में रखा गया है। नये स्थान पर आने पर कुछ समस्या होती है। जानवर को लाने के लिए काफी सावधानियां बरतनी पड़ती है। जानवरों के लिए उच्चस्तरीय अस्पताल भी है।
उन्होंने जानकारी दी कि जू सफारी पार्क निर्माण कार्य पर 177 करोड़ रुपये खर्च किये जा रहे हैं। यहां जानवरों के लिए उच्चस्तरीय अस्पताल भी है। साथ ही यहां वरीय चिकित्सकों की नियुक्ति होगी। जानवरों के पोस्टमार्टम की भी सुविधा होगी। यहां निदेशक, उप निदेशक, फॉरेस्ट ऑफिसर, वन कर्मियों सहित नियुक्त सभी लोगों के लिए आवास का निर्माण, टिकट काउंटर, पर्यटकों के बैठने का स्थल का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। यहां कचरा प्रबंधन सेंटर का भी निर्माण किया गया है। साढ़े चार किलोमीटर तक चहारदीवारी का काम पूरा कर लिया गया है। प्राकृतिक सौंदर्य से छेड़छाड़ किये बगैर सारे कार्य किये जा रहे हैं। पूरा कैम्पस इको फ्रेंडली होगा। लोग खुले में विचरण करते जानवरों को देख सकेंगे।
जू सफारी में 72 हेक्टेयर क्षेत्रफल का पुराना मृग विहार भी शामिल है। इसमें पांच जोन होंगे। जिसमें बाघ, शेर, तेन्दुआ, भालू, हिरण, (चिता एवं सांभर) शामिल है। यहां चिड़ियों के लिए भी एक एवियरी होगी। साथ ही तितलियों का भी एक पार्क होगा। हर जोन 30 फीट ऊंची ग्रिल से घिरा है। इसमें डबल इन्ट्री का प्रवेश द्वार होगा। साथ ही एटोमेटिक गेट होगा। टिकट के साथ प्रवेश करने पर ही गेट खुलेगा। कुल पांच टिकट काउंटर बनाये गये हैं। जू सफारी के लिए 480 एकड़ जमीन के अलावा और भी जमीन रिजर्व रखी गयी है। पार्क के डिजाइनिंग छतीसगढ़ की कंपनी एलएनसी द्वारा की गयी है।
गुजरात में ही पाये जाते हैं एशियाटिक शेर
बब्बर शेर जिन्हें एशियाटिक लायन कहा जाता है ये पूरी दुनिया में सिर्फ गुजरात के जूनागढ़ स्थित गीर के जंगलों में ही पाये जाते हैं। एक वक्त पर ये लुप्त होने के कगार पर पहुंच गए थे। कहा जाता है कि आजादी से पहले सिर्फ 11 शेर ही बचे थे। फिर जूनागढ़ के नवाब ने शेरों के शिकार पर प्रतिबंध लगा दिया और उनकी संख्या बढ़ाने की मुहिम शुरू की थी।